एक डॉक्टर की मौत

subhash

कल किसी ने लिखा कैसा मुल्क है पाकिस्तान जिसने अब्दुस सालाम जैसे महान वैज्ञानिक को पाकिस्तान के एकमात्र नोबेल प्राइज़ विजेता को बेज्जत कर देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया और सोंच रहा था हम खुद अपने मुल्क के बारे में कितना कम जानते हैं ।

सुभाष मुखोपाध्याय ये नाम सुन कर क्या आपके अंदर बिजली चमकी ।

सुभाष मुखोपाध्याय दुनिया के दूसरे और भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने विट्रो फर्टिलाइजेशन के जरिये टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म दिया था

मुखोपाध्याय का जन्म तब के बिहार और आज के झारखंड के हजारीबाग में हुआ था और इन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी और बाद में एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से ग्रेजुवेशन किया

3 ऑक्टोबर 1978 को कलकत्ता की अपनी लैब में इन्होंने टेस्ट ट्यूब बेबी दुर्गा को जन्म दिया जिसका नाम बाद में कनुप्रिया अग्रवाल रखा गया ।
ये अचीवमेंट इस लिये भी बड़ी थी क्योंकि इससे सिर्फ 67 दिन पहले 25 जुलाई 1978 को रॉबर्ट एडवर्ड और पैट्रिक स्टेपटे के नेतृत्व में दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी लुइस जॉय ब्राउन ने जन्म लिया था पर इस लोगों ने महंगे उपकरणों जैसे लैप्रोस्कोप और महंगी तकनीक का प्रयोग कर यह सफलता पाई थी वंही मुखोपाध्याय ने बिना लैप्रोस्कोप के कलकत्ता की अपनी छोटी से लैब में घर का रेफ्रिजरेटर यूज़ कर बेहद कम खर्ज में इस उपलब्धि को पाया था ।

इस सफलता का इनाम पश्चिम बंगाल की सरकार ने ये दिया कि एक इंक्वायरी कमेटी बैठा दी गयी । इस कमेटी में एक भी व्यक्ति ऐसा नही था जिसको टेस्ट ट्यूब फर्टिलाइजेशन का थोड़ा भी नॉलेज होता आखिर में इस कमेटी ने रिपोर्ट दी कि मुखोपाध्याय के किये हुये क्लेम बोगस और जुठ हैं ।
उन्हें जापान जाने से रोक दिया गया जंहा उन्हें बुलाया गया था इंटरनेशनल कांफ्रेंस में अपनी रिसर्च और टेक्नीक के बारे में बोलने के लिये और इसके कुछ दिन बाद इनका 1981 में इनका ट्रांसफर कर दिया गया इनके विभाग से ।

इस अपमान और निराशा से भरे मुखोपाध्याय ने 19 जून 1981 में कलकत्ता में अपने घर मे आत्महत्या कर ली ।

बीस साल बाद 2001 में आनंद कुमार डायरेक्टर ऑफ इंस्टिट्यूट फ़ॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्शन में सुभाष मुखोपाध्याय के रिसर्च पेपर को फिर से खुलवाया और वेरिफाई किया , आंनद कुमार में ये स्टेब्लिस किया कि मुखोपाध्याय की तकनीक और क्लेम सही थे और रिप्रोडक्शन की साइंस में मुखोपाध्याय को पायनियर माना गया ।

IVF की तीसवीं वर्षगाँठ पर ब्राजील के साओपोलो में मेडिकल सोसायटी में इनका सम्मान किया

वर्ड फाउंडेशन की Dictionary of Medical Biography जिसमे दुनिया के उन चुनिंदा लोगों को शामिल किया गया है जिन्होंने मेडिकल साइंस में ऐतिहासिक योगदान दिया हो उनमे सुभाष बंदोपाध्याय का नाम भी शामिल है ।

सायद अगर सिस्टम ने साथ दिया होता तो मुखोपाध्याय टेस्ट ट्यूब बेबी बनाने वाले पहले वैज्ञानिक होते दुनिया भर में , सायद एक वैज्ञानिक को अपमान के साथ आत्महत्या ना करनी पड़ती , सायद हमारे पास एक और अब्दुल कलाम आजाद होता जिससे प्रेरणा लेकर ना जाने कितने और बच्चे आगे जाते ।
सुभाष मुखोपाध्याय पर एक फ़िल्म भी बनी एक डॉक्टर की मौत जिसमे पंकज कपूर में काम किया है ।

और वो लड़की दुर्गा (कनुप्रिया अग्रवाल ) दिल्ली में एक मल्टीनेशनल में अब काम करती है अपनी 25 वीं साल गिरह पर उसने मुखोपाध्याय के सम्मान में आयोजित एक कायर्क्रम में अपनी आइडेंटिटी पहली बार दुनिया के सामने रखी

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