आज हम और आप जिस चालीस घँटे प्रति सप्ताह के हिसाब से काम करते हैं ,शुरू से ऐसा नही था इसके लिये बहुत सी लड़ाईयाँ लड़ी गयीं और कई सालों के संघर्षों के बाद ये सुविधा हमें हासिल हुई है ।
आज हम और आप जिस चालीस घँटे प्रति सप्ताह के हिसाब से काम करते हैं ,शुरू से ऐसा नही था इसके लिये बहुत सी लड़ाईयाँ लड़ी गयीं और कई सालों के संघर्षों के बाद ये सुविधा हमें हासिल हुई है ।