श्रमिक आंदोलन का इतिहास

आज हम और आप जिस चालीस घँटे प्रति सप्ताह के हिसाब से काम करते हैं ,शुरू से ऐसा नही था इसके लिये बहुत सी लड़ाईयाँ लड़ी गयीं और कई सालों के संघर्षों के बाद ये सुविधा हमें हासिल हुई है ।

अठारहवीं सदी के अंत में जब औद्योगिक क्रांति अपने चरम पर थी और श्रमिकों का जबरदस्त दोहन हो रहा था उस समय जेम्स डेब ने इस के खिलाफ पहली बार आवाज़ उठाई और नारा दिया
8 Hours Labour
8 Hours Recreation
8 Hours Rest

इसके काफी समय बाद इस आंदोलन को तेजी मिली जब सन 1884 में अमेरिका में लेबर यूनियनों ने 1 मई 1888 तक सभी श्रमिकों के लिये आठ घँटे के वर्किंग टाइम को लागू करने की मांग रखी , इस मांग के पूरा ना होने पर कई जगह हिंसक प्रदर्शन हुये और कुछ लोगों की जानें भी चली गईं ।

इस आंदोलन में एक बड़ा मोड़ आया जब 1914 में फोर्ड कंपनी ने अपने यहाँ आठ घँटे की शिफ्ट और भत्ते बढ़ाने का एलान कर दिया ।
इसके बाद सन 1938 में जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट ने Fair Labor Standards Act द्वारा पहले काम करने के समय को घटा कर चवालीस घँटे (44 Hours) जिसे घटा कर 1940 तक साप्ताहिक चालीस घँटे (40 Hours) कर दिया गया ।

भारत में अभी फैक्ट्री लेबर लॉ के हिसाब से अधिकतम (48 Hours) अड़तालीस घँटे काम कराया जा सकता है ।

अगर आप आईटी कंपनियों की तीन महीने के नोटिस पीरियडइस की मनमानी के खिलाफ हैं तो नीचे दिये लिंक में जाकर अपना समर्थन दें।

Stop Indian IT companies from forcefully holding employees with 3 months’ notice period

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