लड़की जो मलाला नही बन पायी

बात नब्बे के दशक की है अमेरिका में उस समय बुश सीनियर प्रेसिडेंट थे और ईराक में सद्दाम हुसैन।

सद्दाम ने कुबैत पर क्ब्जा कर लिया था जो उस समय सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश हुआ करता था और जंहा अमेरिकी तेल कंपनियो ने भारी निवेश किया हुआ था और वंहा अमेरिका की पिट्ठू सरकार भी थी ।

बुश सीनियर मानवता को बचाने के लिये ईराक पे हमला करना चाह रहे थे पर सीनेट या अमेरिकी जनता का समर्थन नही जुटा पा रहे थे ।

इसी बीच पन्द्रह साल की एक लड़की नियाराह ने 10 ऑक्टोबर 1990 को वर्ड ह्यूमन राइट्स काकस के सामने एक टेस्टोमोनि दी ।

जिसमे इस पन्द्रह साल की लड़की ने बताया कैसे इराकी सैनिक कुबैत के शहरो में लूटमार कर रहे  हॉस्पिटल में बच्चों  के वेंटिलेटर  निकाल लिये गये और नवजात बच्चों को मरने के लिये छोड़ दिया गया

इराकी सैनिक कैंसर जैसी बिमारी के उपकरण हॉस्पिटल से चुरा कर बग़दाद भेज रहे ये टेस्टमोनि जबरजस्त तरीके से पब्लिसाइज्ड हुई उसी रात ABC NightLine NBC Nightly न्यूज़ जिसकी दर्शको की संख्या 35 से 55 मिलियन होगी ने ये न्यूज़ चलाई |

दश के करीब सिनिटर्स ने इस बारे में अपने ब्यान दिये और बुश साहब ने अगले कुछ हफ़्तों में करीब 10 बार नियाराह का नाम लिया नतीजा ये निकला जो अमेरिकी जन मानुष कुछ हफ्ते पहले ईराक युद्ध के खिलाफ था वो अब कुबैत के लोगो की मदद के लिये ईराक के खिलाफ युद्ध के पछ में हो गया और नियाराह एक नेशनल आइकॉन बन गयी वो लड़की जो युद्ध काल में हॉस्पिटल में लाचारों की मदद करती थी

सब सही चल रहा था कुबैत आजाद हो चुका था की तभी एक रवलेशन किया न्यू यॉर्क टाइम्स के जान मेक आर्थर ने अपने आर्टिकल “रिमेंबर नाइरह” में ..

नाइराह का पूरा नाम था ‘नाइराह अल सबाह ‘और वो अमेरिका में कुबैती सरकार के अम्बेसडर सऊद नासिर अल सबाह की बेटी थी और उस ईराक के कुबैत हमले के वक्त वंहा मौजूद भी नही थी कोई वेंटिलेटर नही चोरी हुये बाद में पता चला टेस्टमोनि स्क्रिप्टेड थी पर इस एक टेस्टमोनि ने बस कुछ हफ़्तों के समय में अमीरीकी जनमानस की सोंच और कई देशो की किस्मत बदल डाली

दुर्भाग्य से नाइराह मलाला  की तरह नोबेल नही पा सकी

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