पाकिस्तान के राष्ट्रीयगान का भारतीय कनेक्शन

क्रिकेट मैच के पहले होने वाले सेरेमनी में पाकिस्तान का कौमी तराना तो बहुतों ने सुना होगा

पाक़ सरज़मीन सादबाद

किश्वर ऐ हसीन सादबाद

पर इस तराने के पहले पाकिस्तान का राष्ट्रीयगान कुछ और था जिसे जिन्ना की मौत के बाद बदल दिया गया

जब पाकिस्तान आज़ाद होने वाला था उससे चंद रोज़ पहले नौ अगस्त 1947 को मोहम्मद अली जिन्ना ने रेडियो करांची के अपने एक दोस्त के जरिये उर्दू के मशहूर शायर जगन्नाथ आज़ाद से राफ़ता कायम किया और उनसे पाकिस्तान के लिये कौमी तराना लिखने की गुजारिश की चार दिन में जगन्नाथ आजाद ने ये तराना लिखा और जिस रात पाकिस्तान आज़ाद हुआ रेडियो करांची और रेडियो लाहौर से यही राष्ट्रीयगान प्रसारित हुआ |

ऐ सरजमीने पाक़ ऐ सरजमीने पाक़

जर्रे तेरे हैं आज सितारों से ताबनाक

रोशन है कहकसो से कंही आज तेरी ख़ाक

तुन्दी ए हासना पे ग़ालिब है तेरा सवाक

दामन वो सील गया है जो था मुद्दतों से चाक

ऐ सरज़मीन पाक़ ऐ सरज़मीने पाक़ !!!

Pakistan’s First National Anthem

जिन्ना जब तक जिंदा रहे अहम् मौकों पर यही कौमी तराना बजता रहा

जिन्ना की मौत के बाद पाकिस्तान की हुकूमत ने दिसम्बर 1948 में एक नेशनल एंथम कमेटी बना दी जिसका काम था देश के लिये नया कौमी तराना बनाना सायद कुछ लोगो की एक हिंदू द्वारा लिखा गया कौमी तराना हज़म नही हो रहा था , कुछ लोग ये भी कहते हैं शाह ऑफ़ ईरान की पाकिस्तान यात्रा की वजह से ऐसा किया गया ।

इस कमेटी ने तीन साल तक सात सौ तेईस तरानों को परखा आखिर में 1950 में पाकिस्तानी सदर लियाक़त अली खान ने नये कौमी तराने की धुन को मंजूरी दे दी पर बोल तय नही हो पाय वैसे ये धुन भी बनाई थी बॉम्बे के अहमद चांगला साहब ने ।

अगले चार सालों तक राष्ट्रीयगान के नाम पर पाकिस्तान में सिर्फ धुन बजती रही

आगे जाकर 1954 में जब मोहम्मद अली बोगरा पाकिस्तानी सदर बने उस समय इस कमेटी के ही एक सदस्य हाफ़िज़ जालंधरी के तराने को कौमी तराने के रूप में मंजूरी दे दी गयी जिसमे पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा उर्दू का सिर्फ एक शब्द था बाक़ी सब फ़ारसी जुबान में था ।

तब से पाक़ सरज़मीन सादबाद को हम पाकिस्तान के राष्ट्रीयगान के रूप में जानते हैं ।

One thought on “पाकिस्तान के राष्ट्रीयगान का भारतीय कनेक्शन

  1. nitin February 26, 2017 / 2:50 pm

    🙂

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