क्या जिन्ना एक सेकुलर पाकिस्तान का ख्वाब देखते थे



11 अगस्त 1947, संविधान सभा मे मोह्म्म्द अली जिन्ना की तक़रीर

मैं जानता हूँ भारत के विभाजन और पंजाब एवं बंगाल के विभाजन पर बहुत से लोग सहमत नही हैं इसके ख़िलाफ़ बहुत कुछ कहा गया है पर जब ये स्वीकार कर लिया गया है तो यह हम सब की ज़िम्मेदारी बनती है कि निष्ठा पूर्वक इसके साथ खड़े हों ।


हमको यह याद रखना चाहिये कि जो शक्तिशाली क्रांति हुई है वह अभूतपूर्व है कोई भी उस भावना को समझ सकता है जो आज दो समुदायों के बीच मौजूद है , जंहा एक समुदाय बहुमत में है और दूसरा अल्पसंख्यक है लेकिन सवाल यह है कि जो किया गया है क्या इसके अलावा कोई अन्य संभव या व्यावहारिक तरीका था ।
एक विभाजन होना था , दोनों तरफ हिंदुस्तान ओर पाकिस्तान में ऐसे लोग हैं जो इसके साथ सहमत नही हो सकते हैं जो इसे पसंद नही कर सकते , लेकिन मेरी समझ मे कोई अन्य समाधान नही था और मेरा यकीन है भविष्य के इतिहास का रिकार्ड इसके पक्ष में होगा ।

मेरी समझ मे संयुक्त भारत का कोई भी विचार कभी भी सफल नही हो सकता था , सायद मैं सही हूँ सायद नही , यह आगे आने वाला भविष्य बतायेगा ।

अब यदि हम इस महान पाकिस्तान राज्य को खुशहाल और समृद्ध बनाना चाहते हैं तो हमे पूरी तरह से लोगों की भलाई पर ध्यान देना चाहिये , विशेषकर जनता और गरीबों की ओर ।
यदि आप सहयोग से काम करेंगे , अतीत को भुलाकर नफरत को कुचलकर फिर आपको सफल होने से कोई नही रोक सकता ।

अगर हम पहले जो हुआ उसे बदल कर एक साथ मिलकर काम करेंगे इस सोंच के साथ कि चाहे वो जिस भी समुदाय का हो , चाहे उसका पहले आपके साथ कैसा भी रिश्ता रहा हो , चाहे वह किसी भी रंग , जात या पंथ का हो वो सबसे पहले ओर आखिर एक पाकिस्तानी है जिसके समान अधिकार , हक ओर कर्तव्य हैं तो आख़िर में हमे सफल होना है ।

हमको इसी सोंच के साथ काम करना है और भविष्य में बहुसंख्यक , अल्पसंख्यक, हिंदू समुदाय में मुस्लिम समुदाय में हर तरह का विभाजन खत्म हो जायेगा ।
मेरी समझ मे यह अलगाव ही भारत की आज़ादी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा था अगर यह ना होता तो हम बहुत पहले ही आज़ाद हो गये होते , कोई भी शक्ति 400 मिलियन के देश को बांध कर नही रख सकती । आपको कोई जीत नही सकता था या जीत भी गया तो लंबे समय तक अपना अधिकार नही बनाये रख सकता था इसलिये हमको इससे जरूर सीखना चाहिये ।

आप आज़ाद हो आप पाकिस्तान के अंदर अपने मंदिरों , मस्जिदों या अन्य पूजा स्थल पर जाने के लिये स्वतंत्र हैं आप किसी भी धर्म जाति या पंथ से संबंधित हो सकते हैं इसका राज्य के शाषन से कोई लेना देना नही होगा।

जैसा कि आपने इतिहास में पढ़ा होगा इंग्लैंड में कुछ समय पहले तक़ स्थिति भारत की तुलना में बहुत खराब थी ,रोमन कैथोलिक ओर प्रोटेस्टेंट ने एक दूसरे का उत्पीड़न किया यंहा तक कि वंहा अब भी कुछ राज्य अस्तित्व में हैं जंहा एक विशिष्ट वर्ग के ख़िलाफ़ भेदभाव है ।
भगवान का शुक्र है हम उस तरह के दिनों की तरह शुरुवात नही कर रहे ।

हम ऐसे दिनों में शुरुवात कर रहे हैं जंहा कोई भेदभाव नही है एक समुदाय ओर दूसरे के बीच कोई अंतर नही है , एक जाति या पंथ ओर दूसरे के बीच कोई भेद नही है । हम इस मूल सिद्धांत से शुरू कर रहे हैं कि हम सभी नागरिक एक राज्य के समान नागरिक हैं

समय के साथ इंग्लैंड के लोगों को वास्तविक स्थिति का सामना करना पड़ा और कदम दर कदम खुद को बदलना पड़ा आज आप कह सकते हैं कि वंहा अब रोमन कैथोलिक या प्रोटेस्टेंट नही मौजूद नही हैं अब वंहा मौजूद है की हर व्यक्ति एक नागरिक है ,समान नागरिक ओर वे सभी ग्रेट ब्रिटेन के सदस्य हैं ।
मुझे लगता है कि इसे हमे आर्दर्श के रूप में सामने रखना चाहिये और भविष्य में हिंदू ,हिंदू नही रह जायेंगे मुस्लिम, मुस्लिम नही रह जायेंगे धर्मिक अर्थों में नही क्योंकि वह प्रत्येक व्यक्ति का निजी विश्वाश का मसला है बल्कि राजनैतिक अर्थों में , राज्य के नागरिक के रूप में ।

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