क्या जिन्ना एक सेकुलर पाकिस्तान का ख्वाब देखते थे



11 अगस्त 1947, संविधान सभा मे मोह्म्म्द अली जिन्ना की तक़रीर

मैं जानता हूँ भारत के विभाजन और पंजाब एवं बंगाल के विभाजन पर बहुत से लोग सहमत नही हैं इसके ख़िलाफ़ बहुत कुछ कहा गया है पर जब ये स्वीकार कर लिया गया है तो यह हम सब की ज़िम्मेदारी बनती है कि निष्ठा पूर्वक इसके साथ खड़े हों ।

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डेमोक्रेसी का हाईजैक

बात 20 दिसम्बर 1978 की है लखनऊ से दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या IC 410 को लखनऊ से उड़ने के चंद मिनटों बाद हाईजैक कर लिया गया | इस फ़्लाइट में 130 के करीब यात्री थे | हाईजैक करने वाले थे इंडियन यूथ कांग्रेस के दो सदस्य भोलानाथ पाण्डेय और देवेन्द्र

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कांग्रेस का दलित प्रेम दिखावा है ?

अछूतों के बच्चो को सामान्य वर्ग के बच्चो के साथ ही सरकारी शिक्षा दी जाय इस सवाल पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसेंट का जवाब

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जनक श्रीपाद अमृत डांगे का माफ़ीनामा


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जनक श्रीपाद अमृतपंत डांगे का माफ़ीनामा

मार्च 17 , 1964 The Current , एडिटर D.F. Karaka ने ये लेटर छापा था ।
A letter From Dange To the Governor General of India , Date July 28, 1924 From Sitapur jail in United Provinces (UP)

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The man who knew the future

इंसान जिसने भविष्य देख लिया था

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कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना अबुल क़लाम आज़ाद ने अप्रैल 1946 को लाहौर बेस्ड मैगज़ीन चट्टान के लिये यह इंटरव्यू शोरीश काश्मीरी को दिया था । इस इंटरव्यू में आज़ाद ने पाकिस्तान और भारत के मुसलामानों के बारे में कुछ सनसनीखेज अनुमान लगाये जैसे पाकिस्तान का बंटवारा और भारत पाकिस्तान का युद्ध होना ।

इस इंटरव्यू को काश्मीरी की अपनी किताब अबुल कलाम आज़ाद के सिवाय कंही भी नही छापा गया ।

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ये राजनीति है यहाँ सब चलता है

ये राजनीति है यहाँ सब चलता है

नेहरू गांधी को हमेशा कोसने वाले अम्बेडकर नेहरू मंत्रीमंडल में रहे और निकलने के बाद भी कोसते ही रहे

इंदिरा को प्रधानमंत्री बनवाने वाले कामराज को पार्टी से निकाल दिया बाद में भारतरत्न भी खुद ही दिया

इंदिरा गांधी को जेल भिजवाने की कसम खाने वाले चरण सिंह ने मोरार जी की सरकार गिरा के इंदिरा के समर्थन से सरकार बनाई

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कुछ यूँ उगा सबसे बड़े लोकतंत्र का सूरज

सदियों इंतज़ार के बाद दिन वो भी आया ,जब भारत के लिए सर्वस्व अर्पण करने वालों की विजय हुई,गुलामी की जंजीरे तोड़ हमारा देश स्वंतत्र हुआ, आज़ादी की सुबह हुई,गुलामी का तम छंटा!

26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान तैयार हुआ,लेकिन असल परीक्षा थी लोकतंत्र की बहाली , आगाज हुआ 1952 में प्रथम आम चुनावों से ।

जवाहरलाल नेहरू चाहते थे की 1951 के बसंत तक चुनाव करवाये जाएँ,इसे जल्दबाज़ी कहिये या उतावलापन आखिर जो भी कहिये ये उत्साह था लोकतंत्र के उत्सव के जल्द से जल्द आयोजन का।

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