अछूतों के बच्चो को सामान्य वर्ग के बच्चो के साथ ही सरकारी शिक्षा दी जाय इस सवाल पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसेंट का जवाब
The Uplift of the Depressed Classes
Indian Review , February 1909
Mrs. Annie Besant
हर देश के सामाजिक पिरामिड के आधार में अज्ञानी अपमानित, भाषा और आदतों में अशुद्ध लोगों का एक बड़ा वर्ग पाया जाता है जो समाज के लिए कई जरूरी कार्य करता है लेकिन जो तुच्छ और उपेक्षित रहता है ।
ऐसे लोगों के लिये क्या किया जा सकता जिन्होंने ये क्रूरता और अपमान खुद के ऊपर झेला है
हर जगह की तरह यंहा भारत में भी शिक्षा के माध्यम से उन्हें उठाने की उम्मीद की जा सकती है
पर अछूतों के बच्चो को समुदाय के स्कूलों में साथ पढ़ाने का विरोध सवर्ण जाती के घरों से होता रहा है
सवाल उठता है क्या भाईचारे का मतलब स्तर गिराना होता है और क्या एक परिवार में बड़े बेटे और छोटे बच्चों के साथ बिलकुल एक जैसा देखभाल और व्यवहार किया जाता है ।
ये उत्साह ज्ञान पर आधारित नही है न ही प्रकृति पे ।
और एक बनावटी समानता लाने के लिये सभ्य और कुलीन लोगों से उस शिक्षा और ज्ञान को जो उन्होंने सैकङो सालों में पीढ़ियों में अर्जित किया है उसको बांटने की मांग करना भविश्य के लिये उतना ही ख़तरनाक है जितना वर्तमान के सुधारों के लिये ।
वंचित समुदाय के बच्चों को सबसे पहले सफाई , सभ्यता धर्म , शालीनता और नैतिकता सिखाई जानी चाहिये इनके शरीरों से खाने और शराब की बदबू आती है ।
कुछ पीढ़ियों के शुद्ध खाने और जीवन के बाद ही ये बच्चे अपने उन पड़ोसियों के साथ स्कुल या घर में साथ बैठने लायक हो पायेंगे जिन्होंने अपने पूर्वजों से साफ़ सफाई और शुद्धता पायी है ।
हम इन बच्चो को दोष नही दे रहे ना इनके माँ बाप को पर इस पर अछूतों को पहले इस शारीरिक शुद्धता तक आना होगा बजाय बजाय हम अपना स्तर को नीचे लायें ।
स्कूलों में अछूतों को पहली चीज़ सिखानी चाहिये स्नान करना और खाना , ये सुविधाये उन स्कूलों में नही दी जा सकती जंहा पर बच्चे प्रतिदिन सुबह नहा कर और उचित भोजन कर विद्यालय आते हों
दूसरी परेशानी है अछूत बच्चों के साथ है , संक्रामक बीमारियां उदाहरण के तौर पर आँख की बीमारी जो घरों में ठीक से ध्यान ना देने की वहज से होती है ।
जो माँ बाप देखभाल से अपने बच्चों को इन बीमारियों से बचाते हैं उनसे हमे ये उम्मीद करनी चाहिये की वो जानबूझ कर स्कूलों में अपने बच्चों को इस संक्रमण के खतरे में डालेंगे
ना ही हम ये चाहेंगे कि इन लाचार वांछनीय बच्चों की आदतें अन्य बच्चों द्वारा सीखी जायँ।
सौम्य भाषा , अच्छी आवाज़ , तौर तरीके ये लंबी सँस्कृति के परिणाम होते हैं और इन्हें थोपा जाना कोई सच्चा भाईचारा नही है ।
एक पागल जो इंग्लैंड में Ragged(फटीचर) स्कूल के बच्चों को ईटन और हैरो ( इलीट क्लासा के स्कुल) में पढ़ाने की बात करता है उसके साथ बहस नही की जायेगी केवल हंसा जायेगा जब भाईचारे के नाम पर इसी तरह का प्रस्ताव हमारे यंहा आता है तो लोग इसको स्पष्ट रूप से मूर्खता कहने में शर्म महसूस करते हैं ।
भारत के लाभ में ये होगा की वो अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में भेजे जंहा उन्हें बाहरी प्रभावों से बचाया जा सके जैसे की इंग्लैंड में होता है ।
original credit
What-Congress-and-Gandhi-have-done-to-the-Untouchables
BR Ambedkar
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